Tuesday, July 29, 2014

Gonu Jha - 1

गोनू झा सुतबाक कमरा मे बैसल छलाह। संग मे बसुआ सेहो छलनि। ओ बसुआ सं कहलथिन, 'रौ बसुआ, लघुशंका कर' जायब। देखही तं बाहर मे, पानि पड़ै छै?'

बसुआ जवाब देलकनि, 'मालिक, एखने बिलाड़ि‍ बाहर सं घर आयल अछि। ओकरा पकड़ि‍ क' देखियौ ने, देह भीजल हेतै तं पानि पड़ैत हेतै आ नइ भीजल हेतै तं नइं पड़ैत हेतै।'

किछु कालक बाद फेर बसुआ सं कहलथिन, 'रौ बसुआ, ओछाओन झाड़, पड़ब।'

बसुआ जवाब देलकनि, 'मालिक अहां प'ड़ू ने, भिनसरे मे हम अ‍हांक देह झाड़ि‍ देब।'

पुन: किछु कालक बाद बसुआ के कहलथिन, 'रौ बसुआ, डिबिया मिझा दही।'

एहि पर बसुआ जवाब देलकनि, 'मालिक, अहां आंखि मूनि लिअ ने, बुझबै जे डिबिया मिझा गेलै।'

फेर किछु कालक बाद बसुआ के कहलथिन, 'रौ बसुआ, केबाड़ लगा दही।'

'एह मालिक, अहूं बड़ तंग करै छी। तीन टा काज हम कैए देलहुं आ एकटा अपने क' लेब से नहि।'

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